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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

सितंबर 17, 2020

स्वास्थ्य पर अदरक का प्रभाव

   स्वास्थ्य पर अदरक का प्रभाव


 दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे अदरक का हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव है और अदरक हमारे स्वास्थ्य के लिए कैसे लाभकारी है।


 अदरक

 संस्कृत में अदरक को विश्व औषध  नाम दिया गया है। अदरक वात्घन,  दीपक , पाचक,  सारक, चक्षुष्य  और पौष्टिक है। 


  वेदक गुणों के कारण यह क्रीमी का नाश करता है और उन्हें मलद्वार से बाहर निकाल देता है अदरक आपके लिए एक उत्तम टानिक है अदरक का रस निरापद एवं प्रति प्रभाव से रहित है।



 भोजन के समय से आधा घंटा पूर्व यदि किंचित सेंधा नमक और कुछ नींबू की बूंदे मिलाकर तीन चार चम्मच अदरक का रस पिया जाए तो भूख खुलती है इस देश के तरफ से पेट में पाचक रसों का योग्य प्रमाण मिश्रा होता है


 यह जुखाम सर्दी को समूल नष्ट कर देता है ह्रदय के  विकारों को दूर करता है और सभी प्रकार के उद्योगों को शांत कर देता है अदरक का रस सूजन मूत्र विकार पीलिया और सुदामा खासी जरूर आदि रोगों में भी लाभदायक होता है आयुर्वेद विशेषज्ञों का मत है कि अदर के नियमित सेवन से जीव एवं गले का कैंसर नहीं होता।

धन्यवाद 





शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

सितंबर 11, 2020

सीताफल का स्वास्थ्य पर प्रभाव

  सीताफल का स्वास्थ्य पर प्रभाव


 दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि सीताफल हमारे लिए किस प्रकार से लाभ लाभकारी है उसके क्या-क्या उपयोग है और हमारे स्वास्थ्य पर वह क्या क्या प्रभाव डालता है।



सीताफल 


 अगस्त नवंबर के आसपास आने वाला सीताफल एक स्वादिष्ट फल है।


 आयुर्वेद के मतानुसार सीताफल शीतल , पित्तशामक ,  पोस्टिक , तृप्ति कर्ता ,  मांस एवं रक्तवर्धक उल्टी बंद करने वाला बलवर्धक वातदोष सामक और हृदय के लिए हितकर है।


शरीफा | सीताफल



 आधुनिक विज्ञान के मतानुसार सीता फल में कैल्शियम लोह तत्व फास्फोरस विटामिन थायमिन राइबोफ्लेविन एवं विटामिन c आदि अच्छे प्रमाण में होते हैं। 

जिन लोगों की प्रकृति गर्म था कि पित्त प्रधान  है उनके लिए सीताफल अमृत के समान गुणकारी है।


 जिन लोगों का हृदय कमजोर होता है का स्पंदन खूब ज्यादा हो घबराहट होती हो उच्च रक्तचाप हो ऐसे रोगियों के लिए भी सीताफल का नियमित सेवन हृदय को मजबूत एवं क्रियाशील बनाता है।


 जिन्हें खूब भूख लगती हो आहार लेने के उपरांत भी भूख शांत ना होती हो ऐसे भस्मक रोग में भी सीताफल का सेवन लाभदायक है।


 विशेष 

सीताफल गुड में अत्यधिक ठंडा होने के कारण ज्यादा खाने से सर्दी होती है ठंड लगकर बुखार आने लगता है अर्थात जिनकी कब सर्दी की तासीर हो ऐसे में सीताफल का सेवन ना करें जिनकी पाचन शक्ति मंदिर उन्हें सीताफल का सेवन बहुत सोच समझकर सावधानी से करना चाहिए अन्यथा लाभ के बदले हानि होती है।


 मित्रों आशा है कि आपको यह पोस्ट पसंद आई होगी और आपको इससे काफी जानकारी मिली होगी।


 धन्यवाद

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शनिवार, 5 सितंबर 2020

सितंबर 05, 2020

अष्टांग योग और उसका प्रयोग

  अष्टांग योग और उसका प्रयोग 



 नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि अष्टांग योग क्या होता है और उसका क्या क्या प्रयोग है।


 अष्टांग योग


 परमानंद की प्राप्ति के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने समाज के 

 साधन स्वरूप जो व्यवस्था कि उसे योग  कहते हैं योग साधना  द्वारा ही परम सत्य की अनुभूति की जा सकती है ऋषि यों ने योग चतुष्टय का विधान किया है ।

1- भक्तियोग 

2- कर्मयोग 

3- राजयोग 

4-ज्ञान योग 


आगे चलकर अनेक आचार्य हुए और अनेक प्रकार की योग मार्गों का प्रचलन किया जैसे हठ योग , क्रिया योग , लय योग , नादानुसंधान आदि परंतु खड दर्शन में जिस युग जी से यह कहा गया है उसका संबंध पतंजलि से है। 



योग |



 ऋषि पतंजलि ने योग सूत्र में योग की परिभाषा देते हुए का योग चित्तवृत्ति निरोध (चित्त की  वृत्तियों का निरोध योग कहलाता है ) भारत में योग विद्या प्राचीन है। पातंजल योग सूत्र महर्षि पतंजलि का प्रसिद्ध ग्रंथ है ऐसी ग्रंथ के आधार पर अष्टांग योग की व्याख्या की गई है आठ अंग होने से इसे अष्टांग योग कहा जाता है।


 उसके नाम निम्न है-

 यम, नियम , आसन , प्राणायाम , प्रत्याहार , धारणा , ध्यान , समाधि


 यम



  यम 5 है -  अहिंसा , सत्य , ब्रम्हचर्य , अपरिग्रह



यम वे गुड़ हैं जिनके व्यवहारिक जीवन को सात्विक और दिव्य  बनाया जाता है और व्यक्ति को समाज में नियंत्रित व्यवहार करने में सहायता मिलती है। यह निम्नलिखित है-



 अहिंसा 

क्रिया,  बढ़िया विचार द्वारा किसी भी प्रकार की हिंसा न  करना।


 सत्य 

मन,  वचन और कर्म में सत्य का प्रयोग।


 अस्तेय

 चोरी ना करना अथार्त् दूसरों की वस्तु को उसकी अनुमति के बिना ना लेना।


ब्रम्हचर्य 

  आत्म संयम एवं सादगी पूर्वक रहकर वीर्य की रक्षा करना तथा ब्रह्म साक्षात्कार करने के प्रयास में रत्त रहना।


अपरिग्रह 

आवश्यकता से अधिक भोग्य वस्तुओं का संग्रह न करना।



योग ध्यान समाधि



 नियम 5 है 


संतोष , शौच ( शुद्धता) , तप ( सुख-दुख समान),  स्वाध्याय,  ईश्वर प्राणिधान



 नियम 

वे गुड़ हैं जो व्यक्ति के चारित्रिक विकास में सहायक हैं नियम का लाते हैं ।

यह 5 है -


शौच

शरीर और मन की सुचिता , अंतर ब्राहे स्वच्छता 


संतोष 

जो कुछ अपने पास है उसी से संतुष्ट रहना तथा किसी वस्तु के अभाव का कष्ट अनुभव ना करना।


 तप

 किसी ऊंचे दिए के लिए कष्ट सहन करना अथक परिश्रम करना।



 स्वाध्याय 

ज्ञानार्जन के लिए सद ग्रंथों का अध्ययन एवं सत्पुरुषों का समागम ।


ईश्वर प्राणिधान

 अपने कर्म और अपनी इच्छाओं का ईश्वर को समर्पण करना।




 दोस्तों आशा है कि आप लोगों को मेरी पोस्ट ज्ञानवर्धक और अच्छी लगी होगी और पूर्णतया आपसे आपको कोई ना कोई जानकारी मिली ही होगी मिलते हैं अगले पोस्ट में


 धन्यवाद


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मंगलवार, 1 सितंबर 2020

सितंबर 01, 2020

कुंभ और कुंभ का महत्व

   कुंभ और कुंभ का महत्व

 नमस्कार दोस्तों आज किस पोस्ट में हम जानेंगे कि  कुंभ का महत्व क्या है और कुंभ कहां कहां पर लगता है आखिर कुंभ क्या है


कुंभ 


 भारतीय धर्म संस्कृति में कुंभ महत्वपूर्ण पर्व है कुंभ का स्थान पुरातन समय से निर्धारित है देवता और राक्षस द्वारा सामूहिक प्रयास से समुद्र मंथन कार्य संपन्न हुआ था जिसके परिणाम स्वरुप 14 रत्न निकले इस सिम में अमृत कलश भी था।

कुंभ-और-कुंभ-का-महत्व


 अमृत वितरण में विवाद होने पर पक्षीराज गुरु अमृत कलश कुंभ  ले कर चले गए यह मान्यता है कि पक्षीराज गरुड़ ने हरिद्वार , प्रयाग राज , उज्जैन और नासिक में इस अमृत कलश को रखा है जहां जहां भी अमृत कलश रखा गया वहां अमृत की कुछ बूंदें छलकी अमृत  बिंदु सेवा संस्थान पुरवा इन स्थानों पर को का आयोजन होता है सामूहिक सद्भाव सहयोग सजीवन और समरसता विश्व में अद्भुत उदाहरण है । 

सोमवार, 31 अगस्त 2020

अगस्त 31, 2020

हिंदू धर्म में 27 नक्षत्र एवं 18 पुराणों के नाम

  हिंदू धर्म में 27 नक्षत्र एवं 18 पुराणों के नाम



 नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे कि हमारे हिंदू धर्म में कितने नक्षत्र होते हैं और उनके क्या-क्या नाम हैं और साथ ही साथ हम पुराणों के बारे में भी जान लेंगे और समस्त पुराणों के नाम को भी जानेंगे।


 नक्षत्र एवं उनके नाम

 हमारे हिंदू धर्म में ज्योतिष विद्या  का महत्व है जो हमारे ब्रह्मांड की खगोलीय घटनाओं के बारे में बताता है जिसमें नक्षत्र का बहुत बड़ा महत्व होता है। नक्षत्रों की कुल संख्या 27 है जिनके नाम निम्नलिखित हैं-


नक्षत्र
27 नक्षत्र 




 पश्चिम से पूर्व की ओर इनके नाम इस प्रकार हैं


 अश्विनी , भरणी , कृतिका , रोहिणी,  मृगशिरा , आर्द्रा , पुनर्वसु , पुष्य , आश्लेषा , मघा , पूर्वा- फाल्गुनी , उत्तरा-फाल्गुनी , हस्त , चित्रा , स्वाती , विशाखा , अनुराधा , ज्येष्ठा , मूल , पूर्वाखाड़ा ,  उत्तराधिकारी,  धनिष्ठा , शतभिषा , पूर्वाभाद्रपद , उत्तराभाद्रपद ,  और रेवती 

यदि प्रत्येक नक्षत्र को चार चरणों में बांटा गया है उत्तराखाणा के चौथे चरण और श्रवण के पहले 15वें भाग को  अभिजित नक्षत्र कहते  हैं कृतिका नक्षत्र का एक नाम कचवचिया भी है।

पूराण एवं पूराण के नाम 



 हमारे हिंदू धर्म में पूराण  भी अत्यधिक महत्व रखते हैं जो हमारे धर्म के बारे में जानकारी देते हैं और हमें ज्ञान प्रदान करते हैं हमारे हिंदू धर्म में पुराणों की संख्या 18 बताई गई है।


पूराण




 जिसमें श्रीमद्भागवत महापुराण सबसे अधिक महत्व रखता है अन्य पुराण भी अपने अपने जगह पर महत्त्व रखते हैं।


 उनके नाम निम्नलिखित हैं-

 मत्स्य पुराण , मार्कंडेय पुराण , भविष्य पुराण , भागवत महापुराण , ब्रह्मांड पुराण ,:ब्रह्मा वैवर्त पुराण , ब्रह्मा पुराण , वामन पुराण , वाराह पुराण , विष्णु पुराण ,  अग्नि पुराण , पदम पुराण , लिंग पुराण ,  कुर्म पुराण , स्कंद पुराण , नारद पुराण , वायू पूराण और  गरूण पूराण



 आशा दोस्तों आप लोगों को मेरी पोस्ट अच्छी लगी होगी और आपको इससे जरूर कुछ ना कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ होगा।



 धन्यवाद

रविवार, 9 अगस्त 2020

अगस्त 09, 2020

भारत के 5 प्रसिद्ध अंग्रजी साहित्य लेखक

  

भारत के 5 प्रसिद्ध  अंग्रजी साहित्य लेखक 


हेलो फ्रेंड्स आज की पोस्ट में हम जानेंगे कि इंडिया के 5 मोस्ट पापुलर लेखक कौन से हैं और उनकी फेमस बुक कौन सी है।


 हमारे देश में बहुत सारे लेखक हैं जिनमें से एक नाम Jumpha Lahiri का भी आता है यह काफी प्रसिद्ध लेखिका है इनकी पुस्तक का नाम है Intrepreter of mind  इस बुक में हमें दिमाग के बारे में अंग्रेजी में जानकारी दी गई है।

Famous Indian author
Jumpha lehiri 



 

   अब हमारे अगले साहित्य के लेखक हैं Rk narayan  यह भी प्रसिद्ध लेखक हैं इनकी प्रसिद्ध किताब है The English teacher   यह पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखिए क्योंकि अंग्रेजी साहित्यकार हैं।


Rk narayan | famous Indian author



 हम Khuswant singh   को भी एक अच्छे अंग्रेजी साहित्यकार के रूप में जानते हैं उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है train to Pakistan  इस पुस्तक में भारत और पाकिस्तान दोनों के बारे में बताएं इनकी रचना अंग्रेजी में है ये अंग्रेजी भाषा के अच्छे  साहित्यकार हैं और यह भारतीय भी हैं।

Khuswant singh | famous Indian author
Khuswant singh 


 अब अगले भारतीय अंग्रेजी साहित्यकार हैं Ruskin bond  इन की पुस्तक का नाम है death under the deodars  है इस पुस्तक को  अंग्रेजी भाषा में लिखी गई है।

Ruskin bond | famous Indian author
Ruskin bond 


 अब हमारे अगले अंग्रेजी साहित्य के साहित्यकार हैं Vikram seth  उनकी प्रसिद्ध पुस्तक का नाम है two lives  इन्होंने भी अंग्रेजी साहित्य में काफी अच्छी ख्याति प्राप्त की है।



 आशा है आपको यह पोस्ट अच्छी लगी होगी हमने इस पूरे पोस्ट में जाना है है कि भारत में पांच अंग्रेजी साहित्य कार्य कौन-कौन से हैं और उनकी प्रसिद्ध पुस्तक कौन सी है।



 धन्यवाद


रविवार, 26 जुलाई 2020

जुलाई 26, 2020

ओजोन क्षरण के बारे में कुछ रोचक तथ्य

 ओजोन क्षरण के बारे में कुछ रोचक तथ्य

दोस्तों,  आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की ओजोन क्षरण क्या होता है और इसका क्या प्रभाव है और हम इसके बारे मे कुछ रोचक तथ्य को भी जानेंगे।


ओजोन क्षरण 


 वर्तमान समय में ओजोन क्षरण का एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या है। वायुमंडल के संताप मंडल में पृथ्वी से लगभग 50 किलोमीटर की ऊंचाई पर ओजोन गैस  की मोटी परत पाई जाती है।  ओजोन गैस oxygen  के तीन परमाणुओं के reaction  से बना होता है। ओजोन परत पृथ्वी पर जीवन के लिए सुरक्षा कवच है। यह परत  सूर्य से आने वाली हानिकारक पैराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है जिससे या किरणें पृथ्वी तक नहीं जा पाती हैं। 

ओजोन क्षरण का प्रभाव| effect of ozone depletion


 यदि यह किरणें पृथ्वी तक आने लगे लगे तो जिवों कि Gene संरचना में विकृति उत्पन्न होगी त्वचा कैंसर एवं त्वचा संबंधी बीमारियां फैैलेेंंगी।  मोतियाबिंद एवं नेत्र संबंधी बीमारियां उत्पन्न होगी।  जलीय जीवो एवं पौधों में ऊतक क्षरण होगा जिससे फसलों का उत्पादन कम हो जाएगा। 

ओजोन क्षरण का प्रभाव| effect of ozone depletion




 क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस ओजोन परत को सबसे अधिक क्षति पहुंचाती है। C.F.Cs गैस में उपस्थित क्लोरीन ओजोन गैस से क्रिया करके इसे इसे नष्ट कर रही है। जिसे ओजोन क्षरण  कहते हैं।  वर्तमान समय में दक्षिणी ध्रुव अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत में छिद्र  बन गया है जिससे  पैराबैगनी किरणें पृथ्वी तक आने लगी है।  क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस का उत्सर्जन रेफ्रिजरेटर एयर कंडीशनर एवं प्लास्टिक, पेंट व रसायन का निर्माण करने वाले फैक्ट्रियों द्वारा किया जा रहा है।


  पृथ्वी  पर जीवन की सुरक्षा के लिए क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस के उत्सर्जन पर रोक लगाने की आवश्यकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओजोन परत के महत्व तथा इसके क्षरण में होने वाले दुष्परिणाम के बारे में लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है। यदि  संपूर्ण विश्व समय से सचेत नहीं हुआ तो पृथ्वी पर जीवन नष्ट हो जाएगा।



तो दोस्तो हम सबको ओजोन क्षरण को रोकना भी होगा।

धन्यवाद