मानव जाति में हारमोंस का प्रभाव
दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे कि हारमोंस हमारे शरीर के लिए लाभदायक है या नहीं अथवा क्या कोई रोग भी हो सकता है हार्मोन की कमी से या हारमोंस के अधिक होने से और कौन सा हारमोंस अच्छा है या बुरा है।
हारमोंस का मानव जीवन और स्वास्थ्य पर प्रभाव
नियमित व्यायाम शरीर और मन मानसिक सेहत के लिए अच्छा होता है एक अध्ययन के द्वारा यह पाया गया कि ओपन ऑफिस में बैठने वाले केबिन में बैठने वालों से ज्यादा सक्रिय होते हैं।
तनाव किसी के लिए भी ठीक नहीं है एक अध्ययन के मुताबिक तनाव होने पर शरीर के कार्टीसाल हार्मोन का प्रभाव बढ़ता है इस हारमोंस का नकारात्मक प्रभाव गर्भ में पल रही बेटी पर बेटों की तुलना में ज्यादा पड़ता है कार्टीसाल हार्मोन के कारण जन्म के बाद 2 साल की उम्र में ही बेटियां में anxiety और अवसाद के लक्षण नजर आने लगते हैं। यह तथ्य बायोलॉजिकल साइकैट्री नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
यदि नियमित रूप से सप्ताह में दो या तीन बार एरोबिक व्यायाम कर लिए जाएं तो सिजनोफ्रेनिया जैसी बीमारियों के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इन कार्यों से मानसिक बीमारियां का सामना करने वाले लोगों में भी बीमारियां के विरुद्ध लड़ने की क्षमता का विकास होता है।
क्या तनाव से बढ़ता है कैंसर का खतरा
तनाव को सीधे हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह व मानसिक रोगों से जोड़ा जाता है। हाल ही में नए शोध के नतीजे चौंकाने वाले हैं इनमें तनाव के साथ ही नकारात्मक सोच को कैंसर जैसी जानलेवा रोग की वजह बताया जा रहा है।
तनाव के शिकार बने रहने वाले व्यक्ति के शरीर में खराब हारमोंस जैसे कार्टीसाल के दुष्प्रभाव से कुछ रसायन जैसे ए एड्रीनलीन की कमी शरीर की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है जो दिमाग के भावनात्मक सेंटर को नुकसान पहुंचाता है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को गलत संदेश मिलता है और कैंसर जैसी टेढ़ी-मेढ़ी कोशिकाएं बनती हैं। शरीर में मौजूद नेचुरल सेल्स इन खराब कोशिकाओं को नष्ट नहीं कर पाती जिससे व्यक्ति कमजोर पड़ जाता है अतः शरीर में लंबे समय के पश्चात एड्रीनलिन का स्त्राव बंद हो जाता है।
क्या हारमोंस से तय होता है इंसान का स्वभाव
हाँ, दोस्तों हमार स्वभाव हारमोंस पे निर्भर करता है आइए आगे पढ़ते है
हारमोंस के कारण मनुष्य की मानसिक प्रकृति में परिवर्तन आता है हारमोंस न सिर्फ शारीरिक विकास परंतु उसके मस्तिष्क भावनाओं व व्यवहार को भी प्रभावित करता है। हर व्यक्ति में हारमोंस का स्तर अलग अलग होता है अतः इसके द्वारा ही मानव का स्वभाव तय होता है जैसे गुस्सा होना, एकाग्रता, मानसिक योग्यता, धैर्यता, उत्तेजन-शीलता स्थिरता इत्यादि।
दो अलग-अलग लोगों का एक दूसरे के प्रति आकर्षण प्रतिकर्षण की भावना का विकास भी हारमोंस पर निर्भर करता है इस क्रिया में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्त्राव और अत्यधिक होता है जिसे कारण व्यक्ति दूसरे से जल्द ही आकर्षित हो जाता है।
हारमोंस का असंतुलन कई बार परेशानी का कारण बन जाता है जैसे भी सामाजिक अपराधिक समस्याएं, एसिड अटैक, अनियंत्रित उत्तेजना द्वारा मर्डर, रेप केस इत्यादि इसका जीवंत उदाहरण है।
माइग्रेन से पीड़ित महिलाओं के लिए हार्मोन थेरेपी सुरक्षित है या नहीं
माइग्रेन अलग-अलग तीव्रता का सिर दर्द है। जिससे पीड़ित महिलाओं को अक्सर मितली प्रकाश व ध्वनि के प्रति संवेदनशीलता की शिकायत रहती है।
एकसोजीनस एस्ट्रोजन को एक साथ उपयोग और माइग्रेन पीड़ित महिलाओं में सिरदर्द व मितली का खतरा बढ़ने के कारण माइग्रेन से ग्रस्त महिलाओं में हार्मोन थेरेपी कारगर साबित हो रही है।
हमारे जीवन प्रत्याशा में मानवीय दर में वृद्धि हो रही है सोसाइटी की समस्याएं हल करना कभी-कभी ऐसा लगता है कि तकनीक केवल समस्याओं का कारण बनती जा रही है या चीजों को जटिल बना रही है परंतु ऐसा नहीं है। एक साधारण जीवन के लिए उत्सुक हैं बिना सेलफोन ट्रैफिक जाम और खतरनाक हथियार से जीवन असंभव सा हो गया है लेकिन सच्चाई यह है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में समाज की कई समस्याओं को हल भी किया है और भविष्य में ऐसा जारी रहेगा पिछले 200 वर्ष में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने पूरी दुनिया को बदल दिया है आज हम सभी प्रकार के चीजों से घिरे हुए हैं जो एक शताब्दी पहले अकल्पनीय थी जो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की बिना असंभव है।
धन्यवाद
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